भारत और तुर्की के बीच रिश्तों में एक बार फिर तल्ख़ी देखने को मिली है। भारत ने एक सख्त कदम उठाते हुए तुर्की में अपने नए राजदूत की क्रेडेंशियल सेरेमनी को अचानक रद्द कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब तुर्की लगातार भारत विरोधी बयानों और कश्मीर को लेकर पक्षपातपूर्ण रुख अपनाता रहा है। माना जा रहा है कि यह कदम भारत की ओर से तुर्की को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश है कि घरेलू मामलों में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत ने तुर्की को दिया करारा झटका! नए राजदूत की सेरेमनी ऐन वक्त पर रद्द, बढ़ा कूटनीतिक तनाव
भारत और तुर्की के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच भारत ने एक सख्त कदम उठाया है। विदेश मंत्रालय ने तुर्की के नए राजदूत अली मूरत एर्सॉय (Ali Murat Ersoy) की राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाली क्रेडेंशियल सेरेमनी को ऐन वक्त पर रद्द कर दिया है। यह सेरेमनी एक औपचारिक प्रक्रिया होती है, जिसमें राजदूत दूसरे देश के प्रमुख को अपना Letter of Credence यानी परिचय पत्र प्रस्तुत करता है। यह दस्तावेज किसी राजनयिक को उस देश में आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दिलाता है। लेकिन भारत द्वारा इस समारोह को टालना यह संकेत देता है कि नई दिल्ली, अंकारा की हालिया गतिविधियों और बयानों से नाराज़ है। माना जा रहा है कि यह फैसला भारत की विदेश नीति में बदलते रुख और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रतीक है।
तुर्की की पाकिस्तान परस्ती बना तनाव की जड़
भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक खिंचाव की सबसे बड़ी वजह तुर्की का पाकिस्तान समर्थक रुख रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन कई बार कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते रहे हैं, जो भारत के आंतरिक मामलों में सीधी दखलअंदाज़ी मानी जाती है। इसके अलावा तुर्की की ओर से पाकिस्तान के साथ सैन्य और सामरिक संबंधों को लगातार मजबूत करना भी भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भारत ने कई बार दोटूक कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर कोई बाहरी टिप्पणी स्वीकार नहीं की जाएगी। ऐसे में तुर्की का यह झुकाव अब भारत की विदेश नीति में सख्ती लाने का कारण बन गया है।